इब्रानियों 1:9
“तू ने धर्म से प्रेम किया और अधर्म से बैर रखा; इस कारण, परमेश्वर, जो तेरा परमेश्वर है, उसने तुझे आनन्द के तेल से अभिषेक किया है।”
1. परिचय
अभिषेक क्या है?
अभिषेक परमेश्वर की ओर से दी गई एक विशेष कृपा और बुलाहट है। यह किसी व्यक्ति को एक विशिष्ट कार्य के लिए चुने जाने और उसे सामर्थ्य प्रदान किए जाने का प्रतीक है। बाइबल में अभिषेक का महत्व गहरा है — यह दिखाता है कि वह व्यक्ति परमेश्वर के उद्देश्य के लिए अलग किया गया है।
अभिषेक और अभिषिक्त का हमारे जीवन में महत्व
जब हम परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों का सम्मान करते हैं, तो हम स्वयं भी परमेश्वर की कृपा और आशीर्वाद के पात्र बनते हैं। यह सम्मान हमारे आत्मिक जीवन की गहराई और पवित्रता को बढ़ाता है।
2. अभिषेक का महत्व
अभिषेक की शक्ति
अभिषेक आत्मिक बल, नेतृत्व और सामर्थ्य प्रदान करता है। जब परमेश्वर किसी को अभिषेक करता है, तो वह व्यक्ति असाधारण कार्यों के लिए समर्थ होता है।
धर्म से प्रेम करना और अधर्म से बैर रखना (इब्रानियों 1:9)
यीशु मसीह ने धर्म से प्रेम किया और अधर्म से बैर रखा। उनके जीवन से हमें सिखने को मिलता है कि अभिषेक केवल शक्ति नहीं, बल्कि धर्मपरायणता और न्यायप्रियता का जीवन जीने का बुलावा भी है।
निर्गमन 30:22-33 — अभिषेक के तेल का पवित्र महत्व
निर्गमन में उल्लेखित अभिषेक का तेल विशिष्ट रूप से तैयार किया जाता था और केवल परमेश्वर की सेवा के लिए प्रयुक्त होता था। इसका उपयोग पवित्रता और अलगाव का प्रतीक था, जो दर्शाता था कि सेवक परमेश्वर के लिए अलग किया गया है।
पवित्र आत्मा का अभिषेक: नए युग में आत्मा द्वारा सशक्तिकरण
आज के युग में, पवित्र आत्मा द्वारा अभिषेक हर विश्वासी के लिए उपलब्ध है। यह अभिषेक हमें सशक्त करता है कि हम परमेश्वर के साक्षी बनें और आत्मिक युद्ध में विजयी हों।
3. अभिषिक्त का सम्मान क्यों करें?
परमेश्वर की आज्ञा का पालन (1 शमूएल 24:5)
जब दाऊद ने शाऊल पर हाथ उठाने से इनकार किया, तो उसने परमेश्वर के अभिषिक्त का सम्मान किया, भले ही शाऊल उसकी जान का पीछा कर रहा था। दाऊद का उदाहरण हमें सिखाता है कि परमेश्वर के अभिषिक्त का सम्मान करना उसकी आज्ञा का पालन करना है।
दुष्परिणाम से बचाव: मीकल का उदाहरण (2 शमूएल 6:16-23)
जब मीकल ने दाऊद का अपमान किया, तो उसे जीवनभर बांझपन का दंड भुगतना पड़ा। यह उदाहरण दिखाता है कि अभिषिक्त का अनादर परमेश्वर के न्याय को आकर्षित कर सकता है।
परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करना
जब हम परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों का सम्मान करते हैं, तो हम स्वयं परमेश्वर के अनुग्रह और आशीर्वाद के पात्र बनते हैं।
परिवार पर प्रभाव (2 राजा 9:1-13)
अभिषिक्त का अपमान केवल व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर दुष्परिणाम डाल सकता है। इसीलिए परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों का आदर करना अत्यंत आवश्यक है।
4. परमेश्वर की योजना में अभिषेक
एलिय्याह को निर्देश (1 राजा 19:15)
परमेश्वर ने एलिय्याह को तीन व्यक्तियों का अभिषेक करने के लिए भेजा, यह दिखाते हुए कि अभिषेक परमेश्वर की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यीशु मसीह – हमारे महायाजक (इब्रानियों 4:14; 8:2, 7-12)
यीशु मसीह स्वयं हमारे लिए महायाजक बन गए, जिन्होंने स्वर्ग में प्रवेश किया और आज भी हमारे लिए मध्यस्थता करते हैं। वह हमारे जीवन में सच्चे अभिषिक्त हैं।
मलाकी 3:16 — परमेश्वर हर बात को सुनते और लिखते हैं
हमारे शब्द और कार्य परमेश्वर की नजरों में हैं। इसलिए हमें परमेश्वर के सेवकों के बारे में सोच-समझकर बोलना चाहिए।
आशा की दृढ़ता (इब्रानियों 6:19-20)
हमारी आत्मा के लिए यह आशा एक दृढ़ और सुरक्षित लंगर है, जो हमें प्रभु में स्थिर बनाती है।
5. कैसे हम अभिषेक और अभिषिक्त का सम्मान कर सकते हैं?
प्रार्थना द्वारा समर्थन
हम परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं कि वे परमेश्वर की महिमा करें और उनके कार्य में सफल हों।
सेवा में सहायता करना
परमेश्वर के सेवकों की सहायता करना एक प्रकार का सम्मान है, जो हमें आत्मिक आशीष में भागीदार बनाता है।
बुरा न बोलना और आलोचना से बचना
हमें परमेश्वर के सेवकों के खिलाफ नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए, क्योंकि परमेश्वर स्वयं उनके मामलों का न्याय करता है।
आत्मिक शिक्षा और बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना
हमें अभिषिक्त सेवकों से सीखने और आत्मिक रूप से बढ़ने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीना
जब हम परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलते हैं, तो हम भी परमेश्वर के अभिषेक को अनुभव कर सकते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
निष्कर्ष
अभिषेक और अभिषिक्त का सम्मान करना हमारे आत्मिक जीवन के लिए अनिवार्य है। जब हम इसे गंभीरता से लेते हैं, तो हमें आत्मिक सामर्थ्य, शांति और परमेश्वर का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आइए, हम परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों का सम्मान करें, उनके लिए प्रार्थना करें, उनकी सहायता करें, और अपने जीवन में भी परमेश्वर के अभिषेक को अनुभव करें।
“परमेश्वर आपको बहुतायत से आशीष दें!”