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आधारशिला आयत: रोमियों 12:2

बदलाव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। परमेश्वर हमें संसार के अनुरूप न बनने, बल्कि अपने जीवन को उनके निर्देशों के अनुसार बदलने के लिए बुलाते हैं। रोमियों 12:2 हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि हमें अपनी सोच को नवीनीकृत करके परमेश्वर की इच्छा को पहचानना चाहिए।

1. संसार के अनुरूप न बनें

संसार हमें अपनी ओर आकर्षित करने के कई प्रयास करता है। सांसारिक विचारधारा, प्रलोभन और अधर्मी जीवनशैली हमें परमेश्वर से दूर कर सकते हैं। बाइबल हमें चेतावनी देती है कि हमें संसार की रीति-नीति को अपनाने के बजाय, परमेश्वर के वचन का अनुसरण करना चाहिए।

कैसे बचें?

  • बाइबल अध्ययन करें और प्रार्थना करें।
  • अपनी सोच को सकारात्मक और ईश्वरीय विचारों से भरें
  • सांसारिक प्रलोभनों से बचें और आत्मसंयम रखें।

2. परमेश्वर के लिए अलग किए गए हैं

परमेश्वर ने हमें संसार से अलग किया है ताकि हम उनकी महिमा के लिए जिएं। 1 पतरस 2:9 में लिखा है कि हम चुनी हुई जाति हैं, जो अंधकार से निकलकर प्रकाश में बुलाए गए हैं। हमें अपने जीवन को इस बुलाहट के अनुसार जीना चाहिए।

कैसे अलग बनें?

  • अपने जीवन को पवित्र और शुद्ध रखें
  • अपने कार्यों और शब्दों में ईमानदारी और निष्ठा दिखाएं।
  • परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करें।

3. शैतान के प्रभाव से बचें

शैतान लगातार हमें गिराने और परमेश्वर से दूर करने का प्रयास करता है। इफिसियों 6:11 में लिखा है कि हमें परमेश्वर के पूरे हथियारों को पहनना चाहिए ताकि हम शैतान की चालों का सामना कर सकें।

शैतान से बचने के उपाय

  • बाइबल को पढ़कर आत्मिक रूप से मजबूत बनें।
  • निरंतर प्रार्थना में लगे रहें।
  • बुरी संगति और नकारात्मक प्रभावों से बचें।

https://www.youtube.com/live/3yI90LCLmSE?si=89ZECiz2dNr_sYLc

4. सही संगति और वातावरण का महत्व

हम जिस संगति में रहते हैं, वही हमारे जीवन को प्रभावित करती है। 1 कुरिन्थियों 15:33 कहता है, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” इसलिए हमें अपने मित्रों और संगति को ध्यान से चुनना चाहिए।

कैसे सही संगति अपनाएं?

  • विश्वासियों की संगति में रहें।
  • चर्च और बाइबल अध्ययन समूहों में सक्रिय भाग लें।
  • उन लोगों के साथ समय बिताएं जो आपको आत्मिक रूप से बढ़ने में सहायता करें।

5. बदले हुए जीवन की ओर पहला कदम

बदला हुआ जीवन जीने के लिए पहला कदम उठाना बहुत जरूरी है। यह कदम तब शुरू होता है जब हम अपने पापों को पहचानते हैं और परमेश्वर के पास पश्चाताप के साथ आते हैं।

पहला कदम कैसे उठाएं?

  • अपने पापों को स्वीकार करें और उनसे दूर होने का संकल्प लें।
  • यीशु मसीह पर विश्वास करें और उनका अनुसरण करें।
  • बाइबल को पढ़ना और परमेश्वर के वचन पर ध्यान देना शुरू करें।

6. आपको परिवर्तन की आवश्यकता कब होती है?

परिवर्तन की आवश्यकता तब होती है जब:

  • आप अपने जीवन में अशांति और असंतोष महसूस करते हैं।
  • आपके कार्य और सोच परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं हैं।
  • आप पाप में लिप्त हैं और उससे बाहर निकलना चाहते हैं।

परमेश्वर हमें अपने जीवन को सुधारने और उनके साथ एक गहरा संबंध बनाने के लिए बुलाते हैं।

7. परिवर्तन करना कठिन क्यों है?

परिवर्तन कठिन होता है क्योंकि:

  • हमें पुरानी आदतों को छोड़ना मुश्किल लगता है।
  • शैतान हमें प्रलोभित करने की कोशिश करता है।
  • सांसारिक आकर्षण हमें रोकने की कोशिश करता है।
  • आत्म-नियंत्रण और धैर्य की आवश्यकता होती है।

परिवर्तन आसान नहीं होता, लेकिन परमेश्वर की सहायता से यह संभव है।

बदला हुआ जीवन केवल संभव है जब हम पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित होते हैं। रोमियों 12:2 हमें याद दिलाता है कि हमें संसार के अनुरूप नहीं बनना चाहिए, बल्कि अपने मन को नवीनीकृत करके परमेश्वर की इच्छा को पहचानना चाहिए। अगर हम सच्चे मन से बदलाव चाहते हैं, तो परमेश्वर हमें उसकी शक्ति और मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।

परमेश्वर आपको आशीष दें!

Brian Anderson

Dr. Rev. Brian Anderson is the Senior Pastor of Light of the World Church, inspiring believers to live with purpose through faith, apologetics, and a personal relationship with Jesus Christ. He emphasizes walking with the Holy Spirit and living as a testimony to God's love and will.