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आधारशिला वचन: 2 शमूएल 24:24-25

जब राजा दाऊद ने देखा कि भूमि पीड़ित है और लोग मर रहे हैं, तब उसने कुछ असाधारण करने का निर्णय लिया – बलिदान देने का। दाऊद को अरौना ने भूमि और बैल मुफ्त में देने की पेशकश की ताकि वह परमेश्वर को चढ़ावा दे सके, परंतु दाऊद ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैं अपने परमेश्वर यहोवा के लिये ऐसा होमबलि नहीं चढ़ाऊंगा जो मुझे कुछ भी न लगे” (2 शमूएल 24:24)।

बलिदान की कीमत

दाऊद ने मुफ्त में नहीं लिया, बल्कि चाँदी देकर भूमि और बैल खरीदे। यह दिखाता है कि सच्चा बलिदान वह है जिसकी कीमत चुकाई जाती है। बहुत से लोग सेवकाई करना तो चाहते हैं, लेकिन भुगतान नहीं करना चाहते – चाहे वह समय का हो, धन का हो, या भावनात्मक त्याग का। लेकिन यदि आप कुछ भी त्याग नहीं करते, तो आपको पूर्ण प्रतिफल कैसे मिलेगा?

बलिदान का सिद्धांत

बाइबल हमें बार-बार दिखाती है कि बलिदान के बिना चमत्कार नहीं होते:

  • उस विधवा ने एलीशा की आज्ञा मानकर बर्तन उधार लिए और उसका थोड़ा सा तेल चमत्कारिक रूप से भरता गया।
  • एलीशा का सेवक एक उधार की कुल्हाड़ी से काम कर रहा था, लेकिन वह भी परमेश्वर की योजना में इस्तेमाल हुआ।

परमेश्वर को सर्वोत्तम देना

बहुत से लोग परमेश्वर को बचा हुआ समय, बचा हुआ पैसा और बचा हुआ ध्यान देते हैं – लेकिन बाइबल कहती है, “अपना पहला फल लाओ” (नीतिवचन 3:9) जब हम अपना पहला और सर्वोत्तम परमेश्वर को देते हैं, तब वह हमें बहुतायत में आशीष देता है।

यीशु मंदिर में लोगों की भेंट देख रहे थे – वहाँ एक विधवा ने दो सिक्के दिए, जो उसका सब कुछ था। यीशु ने उसकी भेंट को सबसे उत्तम बताया क्योंकि उसने बलिदान के साथ दिया।

परमेश्वर को सर्वोत्तम देना

बलिदान एक आत्मिक अनुशासन है

पौलुस कहता है, “अपने शरीर को जीवित, पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ।” (रोमियों 12:1) बलिदान का जीवन केवल पुराने नियम के लिए नहीं है – यह आज के हर विश्वासी के लिए आवश्यक है।

यीशु खुद बलिदान बनने आए। उन्हें परमेश्वर ने बढ़ई नहीं बल्कि क्रूस का मसीहा  बनने के लिए भेजा। उन्होंने अपने प्राण दिए ताकि हम जीवन पाएं।

बलिदान का दर्द और प्रतिफल

बलिदान अक्सर आंसुओं से भरा होता है। आपने भी शायद किसी पुराने मित्र, बुरी आदत, रिश्ते, या इच्छाओं को छोड़ने का दर्द महसूस किया होगा। यह आसान नहीं होता, लेकिन अंत में इसका फल मिलता है – आत्मिक बढ़ोत्तरी, सुरक्षा, और परमेश्वर की निकटता

यूहन्ना 12:24 कहता है, “जब तक गेहूँ का दाना भूमि में गिरकर मर नहीं जाता, तब तक वह अकेला रहता है; परन्तु यदि मर जाता है, तो बहुत फल देता है।
आपका जीवन ही बीज है। जब तक आप अपने स्वार्थ, इच्छाओं और पापों के लिए नहीं मरते, आप आत्मिक रूप से फल नहीं ला सकते।

शैतान बलिदान से डरता है

अय्यूब एक बलिदानी व्यक्ति था। उसके बलिदानों के कारण उसके परिवार पर सुरक्षा का घेरा था और शैतान उसे छू नहीं सका। जब हम बलिदान देते हैं, शैतान के पास हमें छूने का कोई अधिकार नहीं होता।

पौलुस कहता है, “मैं प्रतिदिन मरता हूँ” (1 कुरिन्थियों 15:31) यही आत्मिक बलिदान है। केवल प्रार्थना या सेवकाई करने से नहीं – जब तक हम पवित्रता और बलिदान से नहीं चलते, शैतान हमारे जीवन में स्थान बना सकता है।

मसीही जीवन का बलिदानी मार्ग

मरियम एक साधारण युवती थी, लेकिन परमेश्वर की योजना के कारण उसने अपने सपनों को त्याग दिया और कहा, “मुझे तेरे वचन के अनुसार होने दे” (लूका 1:38) उसने बलिदान किया और आज वह सबसे धन्य स्त्री कही जाती है।

बलिदान शुरुआत में कठिन और शर्मनाक हो सकता है, लेकिन अंत में परमेश्वर उसका प्रतिफल देता है।

बलिदान एक विकल्प है। यह आपके और मेरे निर्णय पर निर्भर करता है – क्या हम अपने आराम, इच्छाओं और लालच के लिए जीते रहेंगे, या अपने जीवन को एक जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को अर्पित करेंगे?

परमेश्वर को अपनी सर्वोत्तम दो – बचा हुआ नहीं।
प्रार्थना करें, त्याग करें, निवेश करें – और देखिए कि परमेश्वर कैसे आपके जीवन को बदलते हैं।

“बलिदान का जीवन एक सामर्थी जीवन है – यही वह मार्ग है जो स्वर्ग के दरवाज़े खोलता है।”

परमेश्वर आपको बहुतायत से आशीष दें| 

LOWC